भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"टीस / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:27, 10 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

जै जगदम्बा जै जगदीश
जौनें खिलावै होकरै दीस॥

पेट भरेॅ तेॅ झूठो बोलौं
थरिया देखी मूँहों खोलौं
पेट फुलै या होवै उलटी
के करै छै माथऽ पचीस। जय...

चोरी करौं कि या घुसखोरी
लतखोरी या करौं बलजोरी
हड़िया भागै चुल्हऽ भसकै
पेटें तेॅ मांगै आशीष। जय...

जौंडीस हुवै कि टी.वी. बिमारी
खुल्ले राखौं दसो दुबारी
दर-दरबाजा मक्खी भनभन
सभै सें सीखौं साजीश। जय...

उलटा-सीधा कैन्होॅ लफड़ा
भूखे-भूख हिलावै जबड़ा
मरलऽ मुर्दा कनखी मारै
देहें नै आवै छै टीस। जय...

हल्ला करै या करै कुकुहारऽ
चाहे कोइये करै उघारऽ
पेट बड़ऽ जीहऽ के पातरऽ
झलकै हमरा चारो दीस। जय...

ई दुनियाँ में नै शर्मावऽ
जत्तेॅ चाहऽ धुरा उड़ावऽ
जानी-बुझी जे टांग बढ़ावै
‘मथुरा’ नै लागै छै लीस। जय...