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"गीत / अश्विनी" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=भवप्रीतानन्द ओझा
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|संग्रह=अंगिका के प्रतिनिधि प्रकृति कविता / गंगा प्रसाद राव
 
|संग्रह=अंगिका के प्रतिनिधि प्रकृति कविता / गंगा प्रसाद राव

13:54, 14 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

साँझ सबेरे बाट जोहै छी
उठी-उठी करौं बिहान गे!
छच्छे खटिया काटै लेॅ दौड़े,
यै जिनगी के निनान गे!
कास फुलैलै धानॅ फुटलै,
फगुआ बितलै, आसो टुटलै,
भरबाभूत-जुआनी कानै,
लै-लै ओकरॅ नाम गे!
धरती रोज सिंगार करै छै,
सरंगोनी बरसै, आग लगै छै
गामॅ दुआरी में हुनके चरचा
सुनी-सुनी सालै छै प्राण गे!