<poem>
नीड़ का निर्माण फिर-फिर,
नेह का आह्णान आह्वान फिर-फिर!
वह उठी आँधी कि नभ में
नीड़ का निर्माण फिर-फिर,
नेह का आह्णान आह्वान फिर-फिर!
वह चले झोंके कि काँपे
नीड़ का निर्माण फिर-फिर,
नेह का आह्णान आह्वान फिर-फिर!
क्रुद्ध नभ के वज्र दंतों
नीड़ का निर्माण फिर-फिर,
नेह का आह्णान आह्वान फिर-फिर!
</poem>