"प्रदान / प्रेमराजेश्वरी" के अवतरणों में अंतर
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) (' {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेमराजेश्वरी |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
{{KKCatNepaliRachna}} | {{KKCatNepaliRachna}} | ||
<poem> | <poem> |
14:56, 26 जुलाई 2017 का अवतरण
दिन सकीनँ प्रियतम दान ।
अम्बरदेखी अवनिसम्मको राशि-राशि आकांक्षा
कुन्नी कसरि भरिन गो सानो उरमा यतिको इच्छा ?
फेरि समर्पण कता, कसरि अभिलाषा भए प्रदान ?
दिन सकीनँ प्रियतम दान ।
शरद्-निशामा रजत-ज्योत्स्ना खिलखिल हाँसिरहेको
नीलमको प्यालीमा प्रियतम अमृत छचल्किएको
पग्लिन थाले प्राणहरूका यी सारा अभिमान
अनी समर्पण कता, कसरि अभिलाषा भए प्रदान ?
दिन सकीनँ प्रियतम दान ।
साना क्षुद्र अकिञ्चन भए पनि लिइ निज उर-उच्छ्वास
कृष्ण-निशामा सबै ओच्याए तारक करूण प्रकाढ
थोपा-थोपा भई साधना आफैँ चुहे अजान
फेरि समर्पण कता, कसरि अभिलाषा भए प्रदान ?
दिन सकीनँ प्रियतम दान ।
रोयो धुरूधुरू नीरवता ओस अश्रु सुकुमार
आँखा खोलि उषाले हेरिन् थोपाको संसार
व्याप्त भए आफैँ समीरमा उरका व्याकुल गान
अनी समर्पण कता, कसरि अभिलाषा भए प्रदान ?
दिन सकीनँ प्रियतम दान ।