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"भैया लौटे हैं / गौरव पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर

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15:00, 28 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

भैया लौटे हैं
लौटी हैं माँ की आँखें
पिता की आवाज में लौटा है वजन

बच्चों की चहक लौटी है
भाभी के होंठों पर लौट आई लाली

बहुत दिन बाद
हमारी रसोई में लौटी खुशबू
आँगन में लौटा है परिवार

नया सूट पाकर
मैं क्यों न खुश होऊं
बहन हूँ
शहर से मेरे भैया लौटे हैं...