भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बच्चा के शपतग्रहण / मनीष कुमार गुंज" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मनीष कुमार गुंज |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार= मनीष कुमार गुंज
 
|रचनाकार= मनीष कुमार गुंज
 
|अनुवादक=
 
|अनुवादक=
|संग्रह=गांग नहाबोॅ / मनीष कुमार गुंज
+
|संग्रह=नयकी गंगा / मनीष कुमार गुंज
 
}}
 
}}
 
{{KKCatAngikaRachna}}
 
{{KKCatAngikaRachna}}

05:24, 18 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण

यहाँ नय कोनोॅ जादू-टोना, नय छै नाग-सपेरा हो
फुलबारी के हम्में जीरी बनबै बड़का जेरा हो।
कोय बनबै इंजिनियर, डाक्टर,
कोय बनबै बीडीओ-सीओ
कोय बनबैै मास्टर-हेडमास्टर
कोय बनबैै बीओ-डीओ
कोय ते बनबैै बड़ोॅ सिपाही लानबै नया सबेरा हो
फुलबारी के हम्में जीरी बनबै बड़का जेरा हो।

मीता! कोय किसानी करबै,
कोय सीमा पर फरियैबै
कोय एक्टर में नाम कमैबै,
कोय ते गीत-गजल गैबै।
कोय सच्चा उपदेश बाँटबै, सुबह-शाम के बेरा हो
फुलबारी के सब टा जीरी बनबै हँसमुख जेरा हो।

अभी फूल रंग खिच्चा बूतरू,
सपना रोज सजाबै छी
खाय-पीयै मेॅ कुनमुन-कुनमुन,
नाचै घरी लजाबै छी
बीस साल मेॅ बीहा करबै नय लागतै कोय फेरा हो।
फुलबारी के हम्में जीरी बनबै बड़का जेरा हो।