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"रात बीते हम न होंगे / कुमार रवींद्र" के अवतरणों में अंतर

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हम न होंगे  
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सुनो सजनी
तो हुआ क्या
+
रात-बीते हम न होंगे  
ये हमारे गीत तो होंगे
+
            पर सुबह होगी
 
   
 
   
फूल होने की कथा
+
कोई पंछी
हमने कही है  
+
आम्रवन से तुम्हें टेरेगा
वह रहेगी
+
उसे दुलराना
नदी सिरजी नेह की
+
जल रहा है यह दिया
वह भी बहेगी
+
जो द्वार पर
 +
नदी में इसको सिराना
 
   
 
   
हम न होंगे
+
पाँव छूना
ये हमारे गीत गाते
+
घाट पर तुमको मिले
मीत तो होंगे
+
                यदि कोई जोगी
 
   
 
   
चाँदनी की सेज होगी
+
पुण्य वह
या कि
+
हमको मिलेगा, सच
तारों-भरी पूरी रात होगी
+
धूप होंगे हम
पीर भी ज़िंदा रहेगी
+
हाँ, तुम्हारे पास ही होंगे
जोकि हमने साथ भोगी
+
जब तुम्हारी आँख
 +
होगी नम
 
   
 
   
हम न होंगे
+
हम छुएँगे तुम्हें
ये हवाओं के
+
तुम हँसना
मधुर संगीत तो होंगे
+
वह छुवन तो बेवज़ह होगी
 
   
 
   
याद में डूबी-हुई
+
बनोगी तुम भी
मधुमास की साँसें रहेंगी
+
सुबह की ओस ऐसे ही
वे हमारे संग की
+
किसी दिन कल
ऋतुराज-गाथाएँ कहेंगी
+
देह हम होंगे नहीं
 +
आकाश होंगे
 +
या कि बहता जल
 
   
 
   
हम न होंगे
+
और साँसें
पर हमारे
+
ये नहीं होंगी
स्वप्न ये मनचीत तो होंगे
+
जो रहीं ता-उम्र हैं ढोंगी
 
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11:33, 30 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

सुनो सजनी
रात-बीते हम न होंगे
             पर सुबह होगी
 
कोई पंछी
आम्रवन से तुम्हें टेरेगा
उसे दुलराना
जल रहा है यह दिया
जो द्वार पर
नदी में इसको सिराना
 
पाँव छूना
घाट पर तुमको मिले
                 यदि कोई जोगी
 
पुण्य वह
हमको मिलेगा, सच
धूप होंगे हम
हाँ, तुम्हारे पास ही होंगे
जब तुम्हारी आँख
होगी नम
 
हम छुएँगे तुम्हें
तुम हँसना
वह छुवन तो बेवज़ह होगी
 
बनोगी तुम भी
सुबह की ओस ऐसे ही
किसी दिन कल
देह हम होंगे नहीं
आकाश होंगे
या कि बहता जल
 
और साँसें
ये नहीं होंगी
जो रहीं ता-उम्र हैं ढोंगी