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"राम-लीला गान / 44 / भिखारी ठाकुर" के अवतरणों में अंतर

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श्रीराम जी की वंशावली

राजा दसरथ जी के खानदान में जब 67 पुस्त धर्मात्मा हुए, तब रामावतार हुआ। मुझे मालूम होता है कि इसी वजह से मसान घाट पर मुर्दा ले जाने के समय लोग ‘राम नाम सत्य है’ उचारन करते हैं। सरसठ (67) पुस्त का नाम लिखा जाता है-इच्छाकु वंश में रामजी के अवतार निमि वंश में जानकी जी के अवतार। यहाँ से बंस चलल बा।
श्री विष्णु भगवान के नाभि से कमल, कमल से ब्रह्मा, ब्रह्मा से मारीच, मारीच से कश्यप, कश्यप से सूर्य, सूर्य से वसुतमन (विंवश्तमन्नु) वसुतमनु से इक्ष्वाकु, इक्ष्वाकु से कुकुक्षी, कुकुक्षी से पुरंजय, पुरंजय से अनेना, अनेना से पृथु, पृथु से विश्वरंधी, विश्वरंधी से चन्द्र, चन्द्र से युवनाश, युवनाश से सावस्त, सावस्त से बिहदस्त, बिहदस्त से कुबल्यार, कुबल्यार से दिढास, दिढास से हर्जस्व, हर्जस्व से निकुंभ, निकुंभ से वाहनाश, वाहनाश से कृपास, कृपास से सेनजित, सेनजित से पुवनाश, पुवनाश से मान्धाता, मान्धाता से दुरुक्त, दुरुक्त से यवनाश, यवनाश से हरित, हरित से त्रस्दब, त्रस्दब से अनार्मय से हरयश, हरयश से अरुण, अरुण से निबंधन, निबंधन से त्रिशंकु, त्रिशंकु से हरिश्चन्द्र, हरिश्चन्द्र से रोहित, रोहित से हरित, हरित से चम्पा, चम्पा से सुदेव से बिजय, बिजय से मरुक, मरुक से बृष, बृष से बहुख, बहुख से सगर, सगर से असमंजस, अजमंजस से अंशुमान, अंशुमान से दिलीप, दिलीप से भगीरथ, भगीरथ से सुरथ, सुरथ से नाभा, नाभा से सिन्धुद्विप, सिन्धुद्विप से अयुताज, अयुताज से ऋतुपरण, ऋतुपरण से सर्वकाम, सर्वकाम से सुदामा, सुदामा से सौदास, सौदास से अस्मक, अस्मक से नारीक्वच, नारीक्वच से दसरथ, दसरथ से एहबीड़, एहबीड़ से विश्वस्वह, विश्वस्वह से खटवांग। खटवांग से दीर्घबाहु, दीर्घबाहु से दिलीप, दिलीप से रघु, रघु से अज, अज से दसरथ, दसरथ से राम।

श्री रामजी के बाद खनदान में राजा लोगों के नाम।

चौपाई

लव-कुश भइक्तन गंडक पारन।
बेतिया जिला में चम्पारन॥
जे बाल्मीकी नगर कहऊन।
भइसा लोटन ओहिजे हऊवन॥
भोजपुरी बोली जहंवा ले।
अइसन जगह बाड़न तहवां ले॥
तहां के महिमा हटे भारी।
झटपटऽ में कहत भिखारी॥

राम के लव-कुश। कुश से निजय। निजय से नल। नल से नाभ। नाभ से पुण्रीक। पुण्डरीक से क्षेमधन्य। क्षेमधन्य से देवानिक। देवानिक से अहनुग। अहनुग से सहसवान्। सहसवान् से बीरसेन। वीरसेन से परियात्र। परियात्र से राजा बल। राजा बल से अस्थल। अस्थल से जयमान। जयमान से यक्ष। यक्ष से अगुन। अगुन से वृधति। वृधती से हरेननाभ। हरेननाभ से योगाचार्य। योगाचार्य से पुष्प। पुष्प से धु्रव। धु्रव से अग्निचरण। अग्निचरण से शीघ्र। शीघ्र से मारु। मारु से पृथुसृप। पृथसृत से सानिध। सानिध से आम्रासन। आम्रासन से मारुतवान्। मारुतवान से प्रसेनजीत। प्रसेनजीत से तक्षक। तक्षक से वृहद्बल। वृहद्बल से उरुप्रिय से बत्सवृद्ध। बत्सवृद्ध से भानु। भानु से दिवाक्। दिवाक् से सहदेव। सहदेव से महावीर। महावीर से वृद्धश्रव। वृद्धरव से भानुमान। भानुमान से प्रतीश्व, प्रतीश्व से सुप्रतीक। सुप्रतीक से मारुदेव। मारुदेव से सुनक्षत्र। सुनक्षत्र से पुष्पकर। पुष्कर से अन्तच्छी। अन्तच्छी से सुतपा।
सुतपा से मित्रचितु। मित्रचितु से वृहद्म्पाल। वृहद्म्पाली से बाराही। बाराही से कृप´्जय। कृप´्जय से रणजय। रणजय से संजय। संजय से मंय। मंय से सकाय। सकाय से सुविद। सुविद से लांगल। लांगल से प्रसेनजित प्रसेनजित से मुद्रक। मुद्रक से सनक। सनक से सुरथ। सुरथ से सुनित्र।