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"जीत / रचना दीक्षित" के अवतरणों में अंतर

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12:19, 8 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

तुम्हारी वो
जीतने की,
शीर्ष पर रहने की,
सदैव अव्वल आने की जिद,
हर छोटी होती लकीर के आगे
बड़ी लकीर खींचते रहना
छोटी लकीरों को
पीछे छोड़ते रहना
मात्र बड़ी लकीरों में जीना,
सदैव जीतते रहना
और मैं
तुम्हारी छोड़ी हर लकीर में
जीती रही,
जीवंत होती रही,
जीतती रही
कभी जब तुम
अपनी इस जीतने की जिद से
उकता जाना,
थक जाना,
कुछ नया करने की सोचना
कोशिश करना याद करने की
हर उस छोटी लकीर को
जिसने तुम्हें शीर्ष पर पहुंचाया
और मैं एक बार फिर
जीत लूँगी,
जी लूँगी,
जीवंत हो उठूँगी