भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वियोग / रचना दीक्षित" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रचना दीक्षित |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:30, 8 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

काया पूरी सिहर उठी,
हुई उष्ण रश्मि बरसात
अघात वर्धिनी बातों ने,
था तोड़ा उर का द्वार
सांसें सिमट गयीं सिसकी में,
आया ऐसा ज्वार
हुआ रोम रोम मूर्छित,
धमनी में वेदना संचार
पलक संपुटों में उलझे बिंदु,
गिर गिर लेने लगे शून्य आकार
मैं खोल व्यथा की गांठ उजवती,
बिछोह का रो रो त्योहार
वो जाने कैसा पल था,
जब बही वियोग बयार