भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आरम्भ / रचना दीक्षित" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रचना दीक्षित |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:55, 8 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

सुना है
सदियों, सदियों, सदियों पहले
धरा पर कुछ था
तो था
विस्फोट, आग, धुआँ
तपिश और जलन
कहते हैं
शायद वही आरंभ था
जीवन का
आज भी
धरा पर कुछ है तो
विस्फोट, आग, धुआँ,
तपिश और जलन
कहीं ये फिर आरम्भ तो नहीं
किसी अंत का?