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चिड़िया पढ़ लेती है पृथ्वी की हस्त-रेखाएं
जान लेती है अवनि के अंतर्मन की गहराइयों को
कभी उदास तरु की आहत दृष्टि
कभी मृत सरिताओं की उछाहहीन उद्दण्ड तरंगे
मूक-दृष्टि से बांचा करती है सारा भूगोल

अनन्त-व्योम और अतल-पाताल का उसका हिसाब-बोध
मात करता है तुम्हारे समूचे विज्ञान और तक़नीक के फोरकास्ट को
जाने कैसे जान लेती है अचानक पलटते मौसम की चाल
सूर्य की रश्मियों और पवन के वेग से
भांप लेती है आगत के विनाश को
करती है सचेत बार-बार अपनी हलचल और क्रीड़ाओं से

बचाना चाहती है अपना आज हमारे कल के लिए
हम ही नहीं समझ पाते प्रकृति के रहस्य बूझती
उसकी उत्कट अभिलाषा
अनाम आशा
चिड़िया की भाषा