"प्रेम के वे पल / आरती तिवारी" के अवतरणों में अंतर
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आरती वर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) छो (Sharda suman ने प्रेम के वे पल / आरती वर्मा पृष्ठ प्रेम के वे पल / आरती तिवारी पर स्थानांतरित किया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:54, 15 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
जिन्हें लाइब्रेरी की सीढ़ियों पे बैठ हमने बो दिए थे
बन्द-आँखों की नम ज़मीन पर उनका प्रस्फुटन
महसूस होता रहा
कॉलेज छोड़ने तक
संघर्ष की आपाधापी में
फिर जाने कैसे विस्मृत हो गए
रेशमी लिफाफों में तह किये वादे जिन्हें न बनाये रखने की
तुम नही थीं दोषी प्रिये
मैं ही कहाँ दे पाया
भावनाओं की थपकी
तुम्हारी उजली सुआपंखी आकांक्षाओं को
जो गुम हो गया
कैरियर के आकाश में
लापता विमान सा
तुम्हारी प्रतीक्षा की आँख
क्यों न बदलती आखिर
प्रतियोगी परीक्षाओं में
तुम्हें तो जीतना ही था!
हाँ तुम डिज़र्व जो करती थीं!
हम मिले क्षितिज पे
अपना अपना आकाश
हमने सहेज लिया
उपेक्षित कोंपलों को
वफ़ा के पानी का छिड़काव कर
हम दोनों उड़ेलने लगे
अंजुरियों भर भर कर
मोहब्बत की गुनगुनी धूप
अभी उस अलसाये पौधे ने
आँखे खोली ही थी कि
हमें फिर याद आ गए
गन्तव्य अपने अपने!
हम दौड़ते ही रहे
सुबह की चाय से
रात की नींद तक
पसरे ही रहे हमारे बीच काम
घर बाहर मोबाइल लैपटॉप
फिट रहना
सुंदर दिखना
अपडेट रहने की दौड़
आखिर हम जीत ही गए
बस मुरझा गया
पर्याप्त प्रेम के अभाव में
लाल- लाल कोंपलों वाला
हमारे प्यार का पौधा
जो हमने रोपा था
लाइब्रेरी की सीढ़ियों पर बैठ