भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"माँ को खत / विवेक चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विवेक चतुर्वेदी |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:14, 23 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

माँ! अक्टूबर के कटोरे में
रखी धूप की खीर पर
पंजा मारने लगी है सुबह
ठंड की बिल्ली
अपना ख्याल रखना माँ!