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"चाँद हँस कर बोला / रूचि भल्ला" के अवतरणों में अंतर

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नमी से नमी पर उग आए
फ़ंगल इन्फ़ेक्शन को अगर आप दाद कहें
तो मैं यह परिभाषा नहीं मानती
यह तो वह इन्फेक्शन है राजा !
सुनो मेरी रानी !
जो उगता है पहले प्यार की तरह
दिल की गीली मिट्टी पर
और फैल जाता है होकर आसमानी
आपकी उंगलियों की फिर
पहुँच नहीं होती कि उसे
प्यार से सहला सकें बार-बार
होता तो यह सोलहवें साल में है
पर लक्षण जब -तब दिखते रहते हैं
लाईलाज दाद
खुजलाता रहता है ताउम्र
उसका ज़ख्म कभी नहीं जाता
असर छोड़ जाता है जिस्म पर
खारिशों के निशान बन कर
आप उसे कहने के लिए दाद कह सकते हैं
सदियों से चली आ रही
लंबी एक बीमारी
मैं इसे प्रेम कहूँगी
यह तो प्रेम का पुराना इतिहास है
जिस्म के पन्नों पर खुदा हुआ
जो एक बार होता है
तो कभी मिटता नहीं
जिसके साक्ष्य होते हैं खारिशों के निशान
टंकित रह जाते हैं जिस्म की दीवारों पर
आप जाकर देख सकते हैं दाद को
पंजाब में जलियाँवाला बाग के
घायल जिस्म पर
दाद अब भी है वहाँ
लाल-लाल चकत्तेदार
भगत सिंह के पहले प्यार की निशानी