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चुप रहो
अभी
श्वेत, केसरिया और हरा रंग
मिलकर कर रहे हैं
बातें विकास की
और तुम्हें
अपनी भूख जैसी
मामूली बातों की पड़ी है
बेवकूफ कहीं के