भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अलछिया / भावना" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भावना |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBajjikaRachna}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:04, 3 जनवरी 2018 के समय का अवतरण

जब ओकरा जनम लेइते
मर गेलक माई
आऊर तनिके दिन बाद
बापो मर गेल
त∙ लछिया !
अलछिया हो गेल.
अनाथ अलछिया
चच्चा-चाची के रहमो-करम पर
जिअइत
बढ़ रहल हए दिने-दिन
अब तोला-समाज के
ओक्कर बिआह के चिंता सताबे लागल हए
मुदा ई दहेज़-लोभी समाज में
कोन थामत
ई अनाथ के हाथ?
अलछिया
भीतरे-भीतरे सुबकइअ
मुदा मुँह न खोलइअ
कि ई समाज के हाथ
कहियो अलछिया के
लछिया बनाबे खातिर उठत?
कि अलछिया सभ्भे दिन
अल∙छे रह जाएत?
ओक्कर दिन
फेनू कहियो न बहुरत?