भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अल्फाज का इक पुल / सरोज सिंह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरोज सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:05, 23 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
हमारे दरमियाँ
लम्हा दर लम्हा
अल्फाज़ का इक पुल सा बना जाता है
मैं इस छोर पर कि स ओर हूँ
नहीं जानती
मेरे लिए तो रोज़ सुबह, सूरज
पुल के उस छोर से ही निकलता हैl