भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"स्त्री / निरुपमा सिन्हा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निरुपमा सिन्हा |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:06, 26 जनवरी 2018 के समय का अवतरण

जीवन के खेत में
बोई
उगाई
सींची
लहलहाई
और
काट कर
निर्जन सिवान में
पहुँचाई गई

पछोर कर
धुल कर
दिखा कर धूप
भेज दिया जाता है
जानी अनजानी
गंतव्य स्थल पर
 
जो पेट तक पहुंचा
उसे अनाज!!!
और
जिसे स्थापित
किया गया
सांसारिक ढाँचे में
उसे स्त्री कहा जाता है!!