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"स्त्री / निरुपमा सिन्हा" के अवतरणों में अंतर
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जीवन के खेत में
बोई
उगाई
सींची
लहलहाई
और
काट कर
निर्जन सिवान में
पहुँचाई गई
पछोर कर
धुल कर
दिखा कर धूप
भेज दिया जाता है
जानी अनजानी
गंतव्य स्थल पर
जो पेट तक पहुंचा
उसे अनाज!!!
और
जिसे स्थापित
किया गया
सांसारिक ढाँचे में
उसे स्त्री कहा जाता है!!