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"चीटियाँ / निरुपमा सिन्हा" के अवतरणों में अंतर

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16:24, 26 जनवरी 2018 के समय का अवतरण

मेरे आसपास
टहलती हैं
चींटियाँ
भूरी लाल और काली

भूरी कितनी मिलती थी
विपत्तियों से
हमें डरा धमका
दबे पाँव
निकल जाती हैं
अहसास दिला
कि निश्चिन्त न होना
 
लाल चिपट काया से
निकाल लेती है
अंदर की चीख
जिसे हमने वर्जनाओं में
लपेट रखा था
सहनशक्ति के नाम पर...

काली को हमेशा जल्दी
होती है गन्तव्य तक
पहुँचने की
निगरानी कर
हमारी भावनावों की
चल देती
चंचल सी
उन कन्दरावों में
जहाँ हमने भी सहेजे होते हैं
सफेद उजले भविष्य
उसके अण्डों की तरह!!