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+ | निराशा के पत्रक | ||
+ | जा पतझर ! | ||
+ | सुधियों की वीणा है | ||
+ | पाया रस निर्झर ! | ||
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+ | तुम सूरज ! | ||
+ | मैं रससिक्त धरा | ||
+ | खूब तपा लो, | ||
+ | मेरे मन यादों का | ||
+ | गुलमोहर झरा । | ||
+ | 28 | ||
+ | शर्मीली भोर | ||
+ | उतरी धीरे-धीरे | ||
+ | पूर्व की ओर | ||
+ | लो डाल गया रंग | ||
+ | ये कौन ? हुई दंग । | ||
+ | 29 | ||
+ | खेल तो लूँ मैं | ||
+ | होली संग तुम्हारे | ||
+ | ज्यों रंग डालूँ | ||
+ | तुमपे कान्हा ,भीगें | ||
+ | मन,प्राण हमारे । | ||
+ | 30 | ||
+ | नया सूरज | ||
+ | नया सवेरा लाए | ||
+ | मन मुस्काए | ||
+ | ख़ुशियों की रागनी | ||
+ | ये मन-वीणा गाए । | ||
+ | 31 | ||
+ | उषा मोहिनी | ||
+ | नभ पथ चली ,ले | ||
+ | सोने सी काया | ||
+ | पीछे प्रीत पाहुन | ||
+ | दिवस मुग्ध ,आया । | ||
+ | 32 | ||
+ | भोर है द्वार | ||
+ | गाते पंछी करते | ||
+ | मंगलाचार । | ||
+ | पवन भी मगन | ||
+ | प्रेम वर्षे अपार । | ||
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16:47, 7 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
25
आज आपसे
कहनी हैं दो बातें-
भला या बुरा
कुछ तो कह जाते
सब,प्यारी सौग़ातें ।
26
बुहार दिए
निराशा के पत्रक
जा पतझर !
सुधियों की वीणा है
पाया रस निर्झर !
27
तुम सूरज !
मैं रससिक्त धरा
खूब तपा लो,
मेरे मन यादों का
गुलमोहर झरा ।
28
शर्मीली भोर
उतरी धीरे-धीरे
पूर्व की ओर
लो डाल गया रंग
ये कौन ? हुई दंग ।
29
खेल तो लूँ मैं
होली संग तुम्हारे
ज्यों रंग डालूँ
तुमपे कान्हा ,भीगें
मन,प्राण हमारे ।
30
नया सूरज
नया सवेरा लाए
मन मुस्काए
ख़ुशियों की रागनी
ये मन-वीणा गाए ।
31
उषा मोहिनी
नभ पथ चली ,ले
सोने सी काया
पीछे प्रीत पाहुन
दिवस मुग्ध ,आया ।
32
भोर है द्वार
गाते पंछी करते
मंगलाचार ।
पवन भी मगन
प्रेम वर्षे अपार ।