भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मेरी पहचान / अनुपमा तिवाड़ी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनुपमा तिवाड़ी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:12, 11 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
मेरे माथे पर बिंदी न देख
कुछ आँखें पूछती हैं
तुम मुसलमान हो?
पैरों में बिछुए न देख
पूछती हैं
तुम कुवाँरी हो?
पूजा न करते देख
पूछती हैं
तुम आर्यसमाजी हो?
तुम नास्तिक हो?
मैं धीमे से कहती हूँ
मैं प्रकृति की कृति हूँ
पर, उन आँखों में किरकिराहट आ जाती है
और, वे अपने जेब में रखे बिल्लों में से
एक बिल्ला मेरे माथे पर चस्पा कर देती हैं
मेरे लिए मुश्किल होता है
उन आँखों को कहना कि
तुम भी सबसे पहले यही हो
बस यही
बाकी सब बाद में
पर शायद वो बना दी गई हैं
पहले ये सब