भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जागो प्यारे / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
{{KKCatBaalKavita}} | {{KKCatBaalKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | उठो लाल | + | उठो लाल अब आँखे खोलो |
− | पानी लाई हूँ | + | पानी लाई हूँ मुँह धो लो |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | ''-साभार: सरस्वती, जून 1915'' | + | बीती रात कमल दल फूले |
+ | उनके ऊपर भंवरे डोले | ||
+ | |||
+ | चिड़िया चहक उठी पेड़ पर | ||
+ | बहने लगी हवा अति सुंदर | ||
+ | |||
+ | नभ में न्यारी लाली छाई | ||
+ | धरती ने प्यारी छवि पाई | ||
+ | |||
+ | भोर हुआ सूरज उग आया | ||
+ | जल में पड़ी सुनहरी छाया | ||
+ | |||
+ | ऐसा सुंदर समय न खोओ | ||
+ | मेरे प्यारे अब मत सोओ | ||
+ | |||
+ | '''''--- साभार: सरस्वती, जून 1915''''' | ||
</poem> | </poem> |
13:42, 15 फ़रवरी 2018 का अवतरण
उठो लाल अब आँखे खोलो
पानी लाई हूँ मुँह धो लो
बीती रात कमल दल फूले
उनके ऊपर भंवरे डोले
चिड़िया चहक उठी पेड़ पर
बहने लगी हवा अति सुंदर
नभ में न्यारी लाली छाई
धरती ने प्यारी छवि पाई
भोर हुआ सूरज उग आया
जल में पड़ी सुनहरी छाया
ऐसा सुंदर समय न खोओ
मेरे प्यारे अब मत सोओ
--- साभार: सरस्वती, जून 1915