भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गर्दिश / संजीव ठाकुर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजीव ठाकुर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:06, 23 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण

वह समझ बैठा था
उसके सितारे
अब कभी
नहीं डूबेंगे
गर्दिश में

वह समझ बैठा था
सीढ़ियाँ उतारती नहीं!