भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दानव औ भगवान मिलेगा / राहुल शिवाय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(' {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राहुल शिवाय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 32: पंक्ति 32:
 
मानव के अंदर ही तुमको
 
मानव के अंदर ही तुमको
 
दानव औ भगवान मिलेगा  
 
दानव औ भगवान मिलेगा  
 +
 +
रचनाकाल-08 अप्रैल 2007
 
</poem>
 
</poem>

21:05, 23 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण

मानव के अंदर ही तुमको
दानव औ भगवान मिलेगा |

यहीं स्वर्ग है,
यहीं नर्क है,
कर्म-फलों से मिलने वाला
यहीं मान, अपमान मिलेगा
मानव के अंदर ही तुमको
दानव औ भगवान मिलेगा

पल में दुख है,
पल में सुख है,
समय-समय पर यहीं उपजता
तुम्हें पीर-अभिमान मिलेगा
मानव के अंदर ही तुमको
दानव औ भगवान मिलेगा

खुद को देखो,
मन को परखो,
तभी किसी की गहराई का
तुमको भी अनुमान मिलेगा
मानव के अंदर ही तुमको
दानव औ भगवान मिलेगा

रचनाकाल-08 अप्रैल 2007