भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पिता के बाद / मुक्ता" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुक्ता |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <po...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:42, 2 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
लड़कियाँ खिलखिलाती हैं तेज धूप में
लड़कियाँ खिलखिलाती हैं तेज बारिश में
लड़कियाँ हँसती हैं हर मौसम में
लड़कियाँ पिता के बाद संभालती हैं पिता के पिता से मिली दुकान
लड़कियाँ वारिस हैं पिता की
लड़कियों नें समेट लिया है माँ को पिता के बाद
लड़कियाँ होती हैं माँ।
दुकान पर बैठी लड़कियाँ सुनती हैं पूर्वजों की प्रतिध्वनियाँ
उदास गीतों में वे ढूँढ लेती हैं जीवन-राग
धूप में, बारिश में, हर मौसम में खिलखिलाती हैं लड़कियाँ।