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"ताशकंद में प्रेम / मुक्ता" के अवतरणों में अंतर

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11:15, 2 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

जूनियर के पवित्र पेड़ों के पास वे कर रहे थे प्रेम
उनकी उँगलियाँ टकरातीं
शहर की सबसे शांत चिरचिक नदी हहराती उमड़ती—
उनके पैरों के पास से गुजर जाती
अदृश्य गिटार की धुन वे चौंक-चौंक कर सुनते
एक-दूसरे की बाहों में बाहें डाल
हवाओं की सिंफनी पर वे दूर तक तैरते
वे तालियाँ बजा-बजा घूमकर नाचते
एक दूसरे के तारों को छेड़ते जूनियर की कतारों में वे अदृश्य हो जाते
उमर ख़ैयाम उनके पास
अपनी रुबाइयों के साथ था
लड़की का लाल स्कार्फ हवा में दूर तक लहराता
सूरज दहकता था उनकी पीठ पर
पत्तियों की ओट में वे खिलखिलाते रहते
एक दूसरे की शिराओं में घटित होने को आतुर
वे बादलों के पार बरस रहे थे।