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"मगध जननी (तर्ज झूमाड़) / कृष्णदेव प्रसाद" के अवतरणों में अंतर

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जय मगध
जयति जयति मगध देस।
जयति जगति मगध देश॥1॥

सिन्धु मेखला वसुन्धराधिकार।
बोधिसत्व शान्तिपाठ सूत्रधार।
सेलूकस के मान चूर करनिहार।
मन के दे गड़ल विरोग के बिसार॥2॥

हे संसार के सिंगार
कभिं इजोर कभिं अंधर
विपद से न जीउ हार
अप्पन दीआ तनि नेस॥3॥