भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चांद / कृष्णदेव प्रसाद" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शेष आनन्द मधुकर |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:15, 11 अप्रैल 2018 का अवतरण
कार कार हइ पहाड़ की हइ बदरिया करिया ॥1॥
लहसे ललित रतनजोत
नयन सुखित मुदित होत
हाय छिनहि में भेल इलोत
तान के कार चदरिया ॥2॥
फट रे बादर हंट पहाड़
जोति! जोति! मुंह उघार
फिर जगत में दे पसार
अप्पन सुखद इंजोरिया ॥3॥