भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आल फगुआ (तर्ज होली) / कृष्णदेव प्रसाद" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कृष्णदेव प्रसाद |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:19, 11 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
फगुआ फिनु
फगुआ फिनु आल सुहावना,
चहल पहल मनभावना॥
फुदके फुदुकिया
चहके पंडुकिया
मोद हिये सरसावना ॥1॥
मानुस मन मँहँ
मानुस चिनता
धन धनधा बहु जातना ॥2॥
धिरिग जीवन
जिन निरखत नाहिंन
प्रकृति उमंग हुलसावना ॥3॥