भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अंगनमा खेले भगिनमा ना / सच्चिदानंद प्रेमी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सच्चिदानंद प्रेमी |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:47, 11 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
हँथवा में धनवा के बनमा
भरल दुआरी खाढ़ सजनमा
लुंगिया धएले सोख भगिनमा
खेले अगनमा ना।
पिपरा तर के पाही खेतिया
ढिवरा पर के राही खेतिया
पनसुख्खू रेहड़ा आउ रेतिया
हाड़ हिलल परछाहीं के जब,
का करतन तब हिरवा-मोतिया
टिटकारी ठिठकल हे हाय राम!
हथवा पड़ल लगनमा
अंगनमा खेले भगिनमा ना
एक तो पागल पावन सावन
बरसे बूँद पिया अन चाहन
पोर-पोर दरद बिन कारन
उठे करूँ बरजोर कि हाय राम!
सिहरे बदनमा ना
छोट उमिरिया कोखिया कोरी
सिहरे बदनमा ना
चमक रहल छन-छन घन विजुरी
घोघसायल घनसार हे बदरी
मिली-मिली हिली हिली गावे कजरी
गाँव के सब ननदी बढ़ चढ़ के
नेह बढ़ावे गोदिया देके
नाहक मोरे भगिनमा
खेले आँगन सजनमा ना।