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"हम दोनों / रामदरश मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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हम दोनों ने साथ ही
जीवन-यात्रा शुरू की थी
दूर तक साथ चलते रहे
मुझे लगता रहा कि
वह भगवान बनने के चक्कर में है
और एक दिन यों ही भगवान बन बैठा
मैं सोचता रहता हूँ कि
कब एक आदमी बन पाऊँगा।
-28.9.2014