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"उसकी मुस्कान / रामदरश मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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15:59, 12 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

मैं अपने कहे जाने वालों के बीच
परेशान होकर बाहर निकला
रास्ते में एक अजनबी मिल गया
उसने नमस्ते किया
और प्यार से
मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर मुस्कराने लगा
उसकी मुस्कान न जाने कितना कुछ कह गई
और देखते-देखते मेरी परेशानी बढ़ गई।
-11.11.2014