भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वह आदमी है / रामदरश मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामदरश मिश्र |अनुवादक= |संग्रह=मै...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:05, 12 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

वह आदमी है सुख-दुख के स्पंदनों से भरा
किसी भी दल के सिद्धांतों का पुतला नहीं
सिद्धांत तो उसके अनुभव में बहते हैं
इसलिए वह हर अच्छाई के प्रति
अपने को खुला रखता है
जहाँ से भी मानवीय आवाज़ उसे पुकारती है
उसका हो लेता है
वह भले ही अकेला पड़ गया हो
लेकिन सुखी है कि उससे कोई जवाब नहीं माँगता
कि वह वहाँ क्यों गया था
उस आदमी द्वारा क्यों सम्मानित हुआ
कविता में ऐसे बिम्बों के प्रयोग क्यों किये?
वे आपस में ये सवाल पूछते रहते हैं
और उद्विग्न करते रहते हैं एक दूसरे को
इस तरह अनेक वर्जनाओं से भरी उनकी जिं़दगी
एक सँकरे रास्ते पर चलती बीत जाती है
-6.3.2015