भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"धन / रामदरश मिश्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामदरश मिश्र |अनुवादक= |संग्रह=मै...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:08, 12 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
माना कि आपने
दुनिया की अपार संपदा प्राप्त कर ली है
और उसके पास कुछ खास नहीं
लेकिन वह आपसे अधिक अमीर है
उसके पास अंतरात्मा का हीरा है
जिसे उसने हर हाल में बचाए रखा
और आप उसे कबका गँवा चुके हैं
काँच बटोरने की पागल स्पृहा में डूबे हुए
अब औरों के लिए
उसके धन से प्यार का प्रकाश फूटता है
और आपके धन से अंधकार निर्ममता का।
-30.4.2015