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"चेतावनी (ग़ज़ल) / अछूतानन्दजी 'हरिहर'" के अवतरणों में अंतर

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08:47, 13 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

पुरखे हमारे थे बादशाह, तुम्हें याद हों कि न याद हो।
अब हिन्द में हम हैं तबाह, तुम्हें याद हो कि न याद हो॥

इतिहास में जो नामवर, थे वीर पराक्रमी धनुर्धर।
आये थे आर्य यहाँ नये, हमको हजम जो कर गये।

छल-बल से वे मालिक भये, तुम्हें याद हो कि न याद हो॥
यदि खून में कुछ जोश हो, ओ बेहोश कौमों, जो होश हो।

तुम क्यों पड़े खामोश हो, तुम्हें याद हो कि न याद हो॥
अब भी हमारी राय लो, सभी आदि हिन्दू बनाय लो।

इतिहास-ज्ञान जगाय लो, तुम्हें याद हो कि न याद हो॥
 'हरिहर' समय अनुकूल है, अब भी न चेतो, भूल है।
गहरी तुम्हारी मूल है, तुम्हें याद हो कि न याद हो।