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"मधुमय राग / रामावतार यादव 'शक्र'" के अवतरणों में अंतर
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निशि ने जब मोती-कण लेकर
दूबों का रच दिया सुहाग;
मंजु चूनरी में ऊषा ने
भरा जवानी का अनुराग।
चिटक उठीं कलियाँ यह लखकर,
गमक उठा सारा उपवन।
पर, किरणों ने आकर लूटा
जीवन का वह मधुमय राग।
-1932 ई.