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"नदी - 3 / रोहित ठाकुर" के अवतरणों में अंतर

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नदी सो रही है
रेत पर
भींगती हुई
खाली पाँव
वह मजदूर लड़की
भी एक नदी है
खेत में खोई है
भींग रही है ओस से
एक भींगती हुई नदी
एक भींगती हुई लड़की
हमशक्ल हैं
हँसती हुई वह लड़की
इस समय
एक बहती हुई नदी है