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"नदी - 4 / रोहित ठाकुर" के अवतरणों में अंतर

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नदी को देखना
नदी को जानना नहीं है
नदी को छूना
नदी को पाना नहीं है
नदी के साथ संवाद
नदी की तरह भींगना नहीं है
नदी की तरह होने के लिये
नदी के उद्गम स्थल तक पहुंचना नहीं है
सड़क पर और किसी गली में
नदी की तरह बहा जा सकता है
नदी की जिजीविषा लेकर