भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तुम्हारे बच्चे तुम्हारे नही / हेमा पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हेमा पाण्डेय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:57, 15 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

वे तुम्हारे साथ जीते है,
तुम उनके मालिक नहीं हो।
तुम उन्हें अपना प्रेम,
दे सकते हो विचार नही।
उनके शरीर तुहारे घर में
रहते होंगे, आत्माएँ नही।
उनकी आत्माएँ कल
 के घर में रहती है,
जहाँ तुम सपनो में
भी नहीं जा सकते।
वे आपके पास जीवन
की धरोहर है।
प्रेम तो रहे,
जीवन की पकड़ न रहे।
प्रेम कीखुबसुरती तभी
रहती है,
जब उसमे कुछ दूरी हो।
माता पिता का प्यार हो,
 माली की तरह।
माता, पिता बनना,
एक अवसर है।
जीवन का एक हिस्सा,
 आपके हाथ में है।
 जिसे आपको शिल्पित करना है।
उस रचना का आनन्द ले,
फिर उसे जीने के
लिए मुक्त कर दे।
आप अपने बच्चे को
 जितनी स्वतंत्रता देगे,
उतना वह आपके
प्रति कृतज्ञ रहेगा।
आपसे गहरे जुड़ा रहेगा।
आपका स्वमं के प्रति,
भी कुछ दायित्व है।
कुछ पल आँखे बंद कर बैठे।
आती जाती सांस पर ध्यान दे।
आप हौले-हौले अंत,
सरोवर में डूबते जाओगे।
आपकी शांति अपने
परिवार के लिए, आशीष
बन महकती रहेगी॥