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"सुखी जीवन का रहस्य / हेमा पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर
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प्रोधोगिकी समाज,
मानसिक व्याधी का
है उत्पादक।
व्याधि है सबसे बड़ी
अकेलापन व्यक्ति का
अकेले पन से है घबराया,
भयभीत भीतर से
है शक्तिहीन बहुत।
लगता है भय दुसरो से
भयभीत है वह खुद से,
सुखी जीवन का सूत्र है
पारस्परिक स्वस्थ सम्बन्ध।
स्वस्थ सम्बन्ध
रखने वाले लोग,
प्रशन्न और रहते है
तनाव मुक्त।
मनुष्य जीवन में
बहुत बड़ा महत्त्व है
पारस्परिक सम्बन्धो का
घर परिवार के
अलावा भी रहते है,
जिस दुनिया में।
हम करते है काम,
अपने मित्रो और
दोस्तों के साथ।