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"तट / सुनीता जैन" के अवतरणों में अंतर

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18:05, 16 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

सागर के निर्जन
तट पर,
वर्ष हुए यों चलते-
चलते,
कल जाने कैसे
कौंधी सूरज की किरणें
या उछल फेन से
सीपी,
आई किरणों से मिलने

पर सच कहती हूँ
एक हथेली से जो
की हथेली बंद है
मोती है उसके अंदर
कहीं कदम्ब की
गंध है