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तुम्हारे इतने बड़े
मरुस्थल में
क्या एक ओक
पानी नहीं?
सिर्फ रेत है
बावली
इधर-से-उधर
दौड़ती?
अवश्य यहीं कहीं
सुरक्षित होगी
वनस्पति,
होगा जल,
जलचर भी-
वह और बात है कि
तुम
वहाँ से भी
लौट आओ
खाली-के-खाली