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"खंडहर के पक्षी / सुनीता जैन" के अवतरणों में अंतर
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खंडहरों के पक्षी,
खंडहरों की
श्वास होते हैं,
तब तक नहीं मरता
खंडहर
जब तक
पक्षी उसमें जीते हैं-
गाते हैं
सुबह भैरवी
दिन में लाते
भर खेत चोंच,
निशि में
पिछले दिन की कथा सुनाकर
सूत्रधार सोते हैं
अब यह बतलाना
बहुत कठिन है
कि पहले पक्षी
कूच कर जाते,
या पहले
खंडहर मरते हैं