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"मार्च / गुल मकई / हेमन्त देवलेकर" के अवतरणों में अंतर

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12:15, 21 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

सोलहवें साल की तरह
प्रवेश करता है मार्च
मिट्टी के कौमार्य में

झरते हैं पत्ते
मिट्टी रजस्वला हुई

तरुणाई की उद्दाम उमंगें हैं फूल
सारी ऐंद्रिकता कितनी सुगंधित और निष्पाप

मिट्टी की छातियों का
गुलाबी उभार हैं :
पीले फूलों से भरे चमकते पेड़

परिव्राजक वसंत फिर लौटा है
मिट्टी अपनी मधुबनी देह
नैवेद्य की तरह उसे अर्पण करती है।