भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ज्वार / गुल मकई / हेमन्त देवलेकर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हेमन्त देवलेकर |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:24, 21 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

मैं एक समुद्र हूँ
तुम मेरा चंद्रमा
तुम्हारा मिलना
पूर्णिमा की उत्तेजना भरी रात्रि
मेरा दिल इतना बड़ा हो गया है
कि पूरे शरीर में फैल गया है
नाखूनों तक से “धड़ – धड़” की आवाज़ें आती हैं
कभी यह अनुभव नहीं था
कि मन में भी रक्त
आंधियों की तरह बहता होगा
कानों का लाल होना
समुद्र की सबसे ऊंची लहर है
मैं एक समुद्र हूँ
तुम मेरा चंद्रमा