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"गलत-सलत बात / मथुरा प्रसाद 'नवीन'" के अवतरणों में अंतर

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विधाता के नाम पर
बिघबा हियाँ रोबऽ हे
भाग के नाम पर
नारी माँग होबऽ है
मरइ तो हे ई की भूख से,
एकरा से अच्छा है लड़के बंदूक से
लगऽ हे बारूद के
धुईयाँ उड़ा दियौ
बंदूक के मुंह तनी
ओने घुरा दियै
जहाँ जहाँ काला है
गियारी में तुलसी अर
कंठी हे माला हे
गीता रामायण पर
चंदन जहाँ चढ़ऽ हे
नया-नया शास्त्र
आउ वेद जहाँ गढ़ऽ हे
पहिने जे लिखल हलै
मेंट रहल पंडित सब
गलत संलत बात बड़ी
फेंट रहल पंडित सब।