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"पुलिस / मथुरा प्रसाद 'नवीन'" के अवतरणों में अंतर
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लूट! लूट! सगरे लूट!
न्यायालय में
विद्यालय में
कहाँ नै लूट के छूट
हम गेलू थाना
दरोगा पूछलक
किधर आ गए?
हम कहलिअै-
बाहर में खड़ा हलै सांढ़
ईहे से इधर आ गए
ई बात सुन के
ऊ हँस देलक,
अउ पुलिस के
इसारा देलक
पुलिस कमर में
रस्सा कस देलक
दिन भर रहलूँ बंद,
मच्छरे घर में
जोड़ऽ हँहू कविता अउ छंद
रात भर रहलूं
भेल जब भोर,
सौ गो रूपया लेके
देलक हमरा छोड़
ई पुलिस के काम
तनी सनी लगतो
कि काट लेतो चाम।