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"तुम्हारी चुप्पी / आनंद गुप्ता" के अवतरणों में अंतर

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16:37, 2 मई 2018 के समय का अवतरण

उसने तुम्हें लूटा
तुम उत्सव मनाते रहे
उसने तुम्हें ठगा
तुम प्रशस्ति गीत गाते रहे
उसने चिल्ला –चिल्ला कर झूठ बोले
तुम तालियां बजाते रहे
उसने हत्याओं को बड़ी चालाकी से
अत्महत्याओं में तब्दील कर दिया
तुम सिर्फ शोक में आँसू बहाते रहे
 
तुम जो घटनाओं पर
चुप्पी साध लेते हो
निकाल लेते हो बगल से चुपचाप
बंद कर लेते हो
अपने खिड़कियाँ और दरवाजें
भीतर का अंधेरा कम तो नहीं होता
बढ़ता है
वे तुम्हारी चुप्पी को
अपनी योग्यता का प्रमाण पत्र मान बैठते हैं
और इसे अपने पक्ष में
विज्ञापन की तरह इस्तेमाल करते हैं
वे तुम्हारे चेहरे को
अपना मुखौटा बनाकर बच निकलते हैं
और तुम्हारे ही खिलाफ गवाही देने
वे अमरबेल की तरह फैल जाते हैं
तुम्हारे विचारों पर
तुम्हारे सवालों पर
यहाँ तक की तुम्हारे इतिहास पर भी
और तुम्हें नपुंसक सिद्ध करने की कोशिश करते हैं
 
वे धर्मग्रंथों की आयतों को
चुपके से बदल डालते हैं
हर तर्क पर तुम्हें
आस्था के सामने ला पटकते हैं
वे ईश्वर का भी
 इस्तेमाल कर लेते हैं तुम्हारे खिलाफ
याद रखना
तुम्हारी चुप्पी
एक दिन खंजर में बदल जाएगी
उतर जाएगी चुपचाप
तुम्हारे ही सीने में।