भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"एक भाव, सही दाम / नईम" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नईम |अनुवादक= |संग्रह=पहला दिन मेर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
23:31, 13 मई 2018 के समय का अवतरण
एक भाव, सही दाम,
इक्का हो या गुलाम!
सुई एक ही होगी-
टी.वी. हो या जुकाम!
मुस्कानें तीन इंच
नापो तो डेढ़ यार!
शत-प्रतिशत शुद्ध सभी,
गांधी या बुद्ध सभी!
तांत्रिक युग के योगी-
भीतर से क्रुद्ध सभी!
काली कमरी उनकी-
हुई आज तार-तार!
खरे एक तरफ पड़े,
खोटे बाज़ार चढ़े!
सरेआम सस्ते जो-
बिछिया सिंदूर कड़े!
घिसते घिस गए शब्द
बानगी बतौर प्यार!
सर से बाँधे सेहरे,
अंधे, लूले, बहरे।
नायक में खलनायक-
चेहरे ऊपर चेहरे!
खाल ये उधारी की-
ओढ़े हैं रँगे स्यार!