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"एक भाव, सही दाम / नईम" के अवतरणों में अंतर

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23:31, 13 मई 2018 के समय का अवतरण

एक भाव, सही दाम,
इक्का हो या गुलाम!
सुई एक ही होगी-
टी.वी. हो या जुकाम!
मुस्कानें तीन इंच
नापो तो डेढ़ यार!

शत-प्रतिशत शुद्ध सभी,
गांधी या बुद्ध सभी!
तांत्रिक युग के योगी-
भीतर से क्रुद्ध सभी!
काली कमरी उनकी-
हुई आज तार-तार!

खरे एक तरफ पड़े,
खोटे बाज़ार चढ़े!
सरेआम सस्ते जो-
बिछिया सिंदूर कड़े!
घिसते घिस गए शब्द
बानगी बतौर प्यार!

सर से बाँधे सेहरे,
अंधे, लूले, बहरे।
नायक में खलनायक-
चेहरे ऊपर चेहरे!
खाल ये उधारी की-
ओढ़े हैं रँगे स्यार!